मेटल कीमतों में इस तेजी की वजह से कई कंपनियों के कारोबार पर असर देखने को मिल सकता है. कॉपर का इस्तेमाल वायरिंग, मोटर्स, इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स, कंस्ट्रक्शन, घरों में निर्माण कार्य, पावर जेनेरेशन और डिस्ट्रीब्यूशन में होता है
कॉपर कीमतों में तेजी बनी हुई है और भाव नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं. दरअसल मांग में बढ़त की अनुमान के बीच सप्लाई में कमी की आशंका को देखते हुए कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है. लंदन मेटल स्टॉक एक्सचेंज पर कॉपर फ्यूचर 4.1 फीसदी की बढ़त के साथ 11104.5 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया जो कि मार्च 2022 के बाद का नया उच्चतम स्तर है. कॉपर कीमतों में तेजी के पीछे एनर्जी ट्रांजिशन की अहम भूमिका है. मेटल सेक्टर के दिग्गज काफी समय से कॉपर की बढ़ती मांग के मुकाबले कम सप्लाई को लेकर चिंता जता चुके हैं. दुनिया भर में ग्रीन एनर्जी में ट्रांजिशन पर फोकस बढ़ रहा है जिसका असर कॉपर की मांग पर है.एक्सपर्ट्स के मुताबिक मांग बढ़ने के मुकाबले माइनिंग की क्षमता में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. वहीं साल 2024 की शुरुआत से कॉपर की कीमतों में बढ़त का रुख देखने को मिला है . कीमतें एक चौथाई फीसदी बढ़ चुकी हैं. बाजार को आशंका है कि अगर मेटल की सप्लाई नहीं बढ़ी तो दिग्गजों की आशंकाएं वक्त से पहले सही साबित हो सकती हैं. मेटल कीमतों में इस तेजी की वजह से कई कंपनियों के कारोबार पर असर देखने को मिल सकता है. कॉपर का इस्तेमाल वायरिंग, मोटर्स, इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स, कंस्ट्रक्शन, घरों में निर्माण कार्य, पावर जेनेरेशन और डिस्ट्रीब्यूशन में होता है. मेटल का उत्पादन करने वाली कंपनियों को कीमतों में बढ़त का फायदा मिल सकता है. वहीं कॉपर का या उससे बने उत्पादों का इस्तेमाल कच्चे माल या पार्ट्स के रूप में करने वालों की लागत पर असर देखने को मिलेगा.सुजलॉन , वेदांता, हिंदुस्तान कॉपर और हैवेल्स पर कीमतों में इस तेजी का असर दिखेगा. (डिस्क्लेमर: CNBC TV18 हिंदी पर दी गई सलाहें या विचार एक्सपर्ट, ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी विचार हैं, वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके प्रति जिम्मेदार नहीं है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार या सर्टिफाइड एक्सपर्ट से राय जरूर लें.)